निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले (Nirbhaya Gangrape Case) में दोषी विनय शर्मा और मुकेश द्वारा दायर क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोषियों की पूर्व में दायर पुनर्विचार याचिका और क्यूरेटिव याचिका में खास अंतर नहीं है और इस याचिका में कोई ऐसी नई बात नहीं है जिसका संज्ञान लिया जाए।
दोषियों के पास अब राष्ट्रपति के पास दया याचिका का विकल्प बचा है, जिसमें फांसी की सजा को उम्रकैद की सजा में बदलने की अपील की जा सकती है।
ये भी पढ़ें: Nirbhaya Gangrape Case: सजा-ए-मौत के बीच है महज 350 घंटों
न्यायमूर्ति एन वी रमणा, अरुण मिश्रा, आर एफ नरीमन, आर भानुमति और अशोक भूषण की पीठ विनय शर्मा और मुकेश की ओर से दायर समीक्षा याचिका पर आज पौन दो बजे सुनवाई शुरू की। इसके लिए उन्होंने पांच मिनट का समय तय किया था। जस्टिस रमना के चेंबर में यह सुनवाई पूरी हुई और पांचों जजों ने याचिका को खारिज कर दिया। जब से दोषियों को सजा का एलान हुआ है तब से उनका वजन कम हो रहा है। डेथ वारंट लेते हुए भी उनके पैर कांप रहे थे।
कैसे होती है क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई
समीक्षा याचिकाओं पर फैसला न्यायाधीशों के कक्ष में होता है। यह किसी भी व्यक्ति के लिए सजा से बचने का अंतिम न्यायिक रास्ता है। मौत की सजा पाने वाले अन्य दो दोषियों अक्षय और पवन गुप्ता ने समीक्षा याचिका दायर नहीं की है। गौरतलब है कि निचली अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी देने के लिए मौत का वारंट जारी कर दिया है।
ये भी पढ़ें: 24 लोगों ने किया दुष्कर्म, मॉडल बनना चाहती थी मध्यप्रदेश की नाबालिग लड़की
निर्भया कांड (Nirbhaya Gangrape Case) के दो दोषियों विनय कुमार शर्मा औैर मुकेश ने डेथ वारंट जारी होने के दो दिन बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दोषी विनय और मुकेश ने अपने कानूनी अधिकार का उपयोग करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी।