भारतीय नौसेना में पिछले महीने कोरोना संक्रमण के 38 मामले सामने आए थे। इनमें से 12 नौसैनिकों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है, जबकि 26 का इलाज चल रहा है। कोरोना की स्थिति काबू में आने के बाद नौसेना खाड़ी देशो में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए तैयार है।
शनिवार को वाइस चीफ वाइस एडमिरल जी. अशोक कुमार ने कहा कि सीडीएस और विदेश मंत्रालय के बीच सहमति (Foreign Ministry Consent) बनने के बाद इस ऑपरेशन के लिए 14 पोत स्टैंडबाय पर हैं।
ऑपरेशन में पश्चिमी नेवल कमांड के 4 जहाजों, पूर्वी नेवल कमांड के 4, दक्षिणी कमांड के 3 और अंडमान निकोबार कमांड के 3 पोत लगाए जाएंगे। नौसेनिकों को पूरी प्रकिया समझाई जा चुकी है। उन्हें वापस लाए जाने वाले लोगों से मिलने की अनुमति नहीं होगी। सेलिंग के लिए सिर्फ जरूरी क्रू मेम्बर्स ही जहाज पर होंगे। अगर कोई पॉजिटिव होता है तो उसे जहाज पर ही आइसोलेट किया जाएगा। जहाज पर सवार होने से पहले सभी लोगों की स्क्रीनिंग होगी।
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मुंबई में तैनात है
नौसेना में संक्रमण पर वाइस एडमिरल कुमार ने कहा, “आईएनएस आंग्रे पर कुल 38 पॉजिटिव केस थे। 12 स्वस्थ होकर डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। 26 का अभी इलाज चल रहा है। इसके अलावा हमारे किसी वॉरशिप या सबमरीन में कोई पॉजिटिव केस नहीं है। इन सैनिकों के संपर्क में आए सभी लोगों को क्वारैंटाइन किया गया। हमने इन सभी के टेस्ट भी कराए। संक्रमण पर काबू पाने के लिए क्वारैंटाइन नियमों को सख्ती से लागू किया गया।”
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सावधानी बेहद जरूरी
एक सवाल पर नौसेना उप प्रमुख ने कहा, “दुनिया के कई देशों की नेवी में संक्रमण के मामले देखे गए हैं। इसलिए हमने सख्त ऐहतियात बरते। हमारे किसी युद्धपोत या पनडुब्बी पर कोई पॉजिटिव केस नहीं है। हमने कड़े मानदंड तय किए हैं। वॉरशिप या पनडुब्बी पर जाने से पहले सैनिक और अफसरों के स्वास्थ्य की 14 दिन निगरानी की जा रही है। अगर कोई संक्रमित हो गया और जहाज समुद्र में है तो वहां से वापसी में वक्त लग सकता है और इससे बाकी सैनिकों में संक्रमण फैल सकता है।” चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने संक्रमण रोकने में नौसेना द्वारा किए गए उपायों की तारीफ की थी।